ज़िंदगी को दोस्त बनाकर चलो,
तभी ज़िंदगी आसान है
वरना तो शमशान है।
ज़िंदगी को गले लगाकर चलो,
तभी खुशियां है
वरना तो खुशियों से मीलों दुरियां है।
ज़िंदगी के ग़मों को चाव से पीते चलो,
तभी ज़िंदा रहोगे
वरना तो ज़िंदा लाश बन जाओगे।
ज़िंदगी को ज़ुनून समझो,
तभी असल ज़िंदगी से मिलोगे
वरना तो भटकते रहोगे।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️