मेरी जान अब मेरे बस में नहीं ,
जबसे मेरी जान मैं तुम्हारा हुआ ,
एक वक़्त अंधेरे में गुजारा है हमने ,
तेरे आ जाने से फिर उजियारा हुआ ,
कई तौर जिंदगी में मखसूस हुए ,
तब जाके कहीं एक दौर तुम्हारा हुआ ,
मेरी जान अब मेरे बस में नहीं ,
जबसे मेरी जान दिल तुम्हारा हुआ ,
फकत मेरे चाहने से क्या होता ,
तेरी चाहत मिली मैं मुकम्मल हुआ ,
तुमसे पहले मेरा अश्क महज़ एक बूंद था ,
एक तेरा अश्क घुला मैं समुंदर हुआ ,
मेरी जान अब मेरे बस में नहीं ,
जबसे मेरी जां मै तुम्हारा हुआ ।
----मोहम्मद आकिब