तुम ठीक हो,
मैं ठीक हूँ,
बस इतनी सी बात
बहुत सुकून दे जाती है।
इतना सा सुनते ही ,
दिल मे शांति हो जाती है।
जब तक अपनों से बातचीत न हो,
तो दिल बैचेन हो जाता है,
बेसमय फोन की घन्टी बजने से,
दिल जोर शोर से ,
धड़कने लगता है,
नकरात्मक विचार,
पनपने लगते हैं,
किसी अनहोनी की आशंका,
लगने लगती है।
लेकिन जब यह शब्द सुनती हूँ,
की हैलो सब ठीक है,
मैंने तो ऐसे ही फोन किया था,
दिल को एक सुकून मिलता है,
भगवान का शुक्रिया अदा करती हूँ,
अपने तकदीर पर इतराती हूँ,
अपने आपसे बातें करती हूँ ,
गलत विचार मन में आने पर,
स्वयं को कोसती हूँ,
फिर अपनों से घँटों,
फोन पर बातें करती हूँ।
फिर से अपनी दिनचर्या में,
एक नए उत्साह से,
शामिल हो जाती हूँ।
- सीमा केडिया