कितनी बार महफ़िलों से निकाला गया हूँ
धीरे धीरे खुद के बहुत करीब आ गया हूँ
मेरी बेरुखी की शिकायतें होती है
जब से मैं खुद से बेरूख हो गया हूँ
शहर तेरे गाँव तेरे मैं क्या लाया हूँ
चला जाऊंगा यहाँ से , जो आ गया हूँ
बातें उसकी अब दुनिया से सुनता हूँ
बस मैं उससे इतनी दूर आ गया हूँ
अब मैं किस किस को कितना याद आया हूँ
यादों से भी मर गया हूँ जो मैं मर गया हूँ