ना घबराओ ठोकरों से
ये कदमों को मज़बूत करती हैं।
काटें भी राहों के जीवन में
सजग सबल बनातें हैं।
ये उठाने वाली दर्द पीड़ा
दिल को मज़बूत करतीं हैं।
आने वाली कठिनायों से
लड़ने के लिए
आदमी को तैयार करतीं हैं।
ये उतार चढ़ाव राहों के
आदमी को चलने लायक बनाती हैं।
इसलिए चाह नहीं हमें फूलों की
मखमली बिस्तर मलाई मेवों की
हम तो रूखे सूखे में हीं खुश हैं।
जब कुछ भी ना संग लाए तो
ये आसक्ति कैसी।
ये मैं मेरा लालच लोलुपता कैसी।
जिंदगी जैसी भी मिले
हम जी लेंगे।
सुख मिले या दुःख
हम सब झेल लेंगे..
हम सब गेंदों को खेल लेंगे..
चाहें बाउंसर हों या सीमर्स हों
हो स्पिन्न या गुगली हो
हम सबको खेल लेंगे..
हम सबको देख लेंगे..
हम सबको देख लेंगे...