हम मानव होकर इस धरती पर,
देश के विरुद्ध भरते हैं।
हम से बेहतर तो वो कुत्ते हैं,
जो देश की सेवा करते हैं।।
कुछ मरते हैं महबूबा पर,
कुछ कुर्सी पर मरते हैं।
उनसे बेहतर तो वो कुत्ते हैं,
जो देश की सेवा करते हैं।।
कुछ लड़ते हैं अपनों के लिए,
कुछ अपनों से लड़ते हैं।
उनसे बेहतर तो वो कुत्ते हैं,
जो देश की खातिर लड़ते हैं।।
खुद को बतलाते हैं सेवक,
जबकि ए सी कारों में चलते हैं।
उनसे बेहतर तो वो कुत्ते हैं,
जो 45 डिग्री में जलते हैं।।
जब से आई है नई तकनीकी,
डिजिटल देशप्रेम हम करते हैं।
हमसे बेहतर तो वो कुत्ते हैं,
जो देश की सेवा करते हैं।।
---- जितेन्द्र जय
रायबरेली(उत्तर प्रदेश)

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




