ना हिन्दू बन सकें
न मुसलमां बन सकें
इंसानों के बच्चें सभी
फिरभी ना की इंसा
बन सकें .....
जात पात धर्मांधता में
सबका बंटाधार हो रहा है।
बात बात पे बवाल
ना कोई समाधान
केवल सवाल...
कोई भी ना समस्या
का समाधान चाह रहा है
दंगा फसाद का सिर्फ
राह ताक रहा है..
बस कुछ लोगों के
मतलब कि खातिर
ये जो बस्ती जल रही है
आरे क्या इसमें तो घर
हिंदू का तो मुसलमां का भी
जल रहा है
आंसुओं की शैलाब में
सब तृण तृण हो रहा है
अराजकता की इस बाढ़ में
हर आम आदमी बह रहा है
फिरभी लोगों को कुछ भी
समझ नहीं आ रहा है
कोई हिंदू तो कोई मुसलमां
बन रहा है...
हैं इंसा के बच्चें सभी
फिर भी ना कोई इंसा बन
रहा है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




