जहर घोलता है मनुष्य
हवा में , पानी में , आकाश में ,
करता है जीवन विनाश
तेरे जग का
हे शिव सुन प्रार्थना हमारी
कर रक्षा धरा की,
जीवन की,
अन्तरिक्ष की,
जल की,
हवा की ,
मनुष्य से,
त्रस्त है जीवन जिसकी
लालसा से,
कगार पर है जीवन
जिसकी हवास से
हे शिव कर रक्षा उस मनुष्य से
जीवन की,
अन्तरिक्ष की,
जल की,
हवा की ,
इस संतुलन की