अब तेरी याद आती तो है..
मगर अब सताती नहीं,
अब कभी रूलाती नहीं !!
आँखें नम हो जाती तो है..
अब तेरी याद आती तो है !!
एकटक हूँ तकता छत को,
दरो और दीवारों को !!
साथ खींचे तस्वीरों को,
पुराने से दरपन को..
यादें तुम्हरी दिलाती तो है !!
वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है