ज़िंदगी से हमारी उम्मीदें
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अक्सर हम यह सोचते हैं कि ज़िंदगी हमारी उम्मीदों पर खरी क्यों नहीं उतरती। हमारी इच्छाएँ, सपने और योजनाएँ जैसे अधूरी रह जाती हैं और मन में निराशा घर कर लेती है। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि ज़िंदगी भी हमसे कुछ उम्मीदें रखती है?
दरअसल, जीवन केवल लेने का नाम नहीं, बल्कि देने का भी नाम है। हम चाहते हैं कि जीवन हमें खुशियाँ, सफलता और सुख दे, लेकिन इसके बदले में हम जीवन को क्या देते हैं? अगर हम कठिनाइयों का सामना धैर्य से नहीं करेंगे, यदि हम संघर्ष से भागेंगे, अगर हम उम्मीद खो देंगे, तो क्या हम ज़िंदगी की उम्मीदों पर खरे उतर पाएँगे?
ज़िंदगी हमसे साहस, धैर्य और सकारात्मकता की अपेक्षा करती है। जैसे एक बच्चा अपने माता–पिता से विश्वास चाहता है, वैसे ही जीवन हमसे विश्वास और कर्म की उम्मीद करता है। अगर हम हर चुनौती का सामना मजबूती से करें, हर असफलता को सीख में बदलें और हर परिस्थिति में उम्मीद का दीपक जलाए रखें, तो ज़िंदगी भी हमें हमारी उम्मीदों से कहीं ज़्यादा लौटाती है।
इसलिए अगर ज़िंदगी आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है, तो निराश न हों। बल्कि हिम्मत करके यह दिखाइए कि आप ज़िंदगी की उम्मीदों पर खरे उतर सकते हैं। यही सोच आपको न सिर्फ़ मजबूत बनाएगी बल्कि जीवन को जीने का सही अर्थ भी सिखाएगी।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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