तकलीफों से गुजरते है
अरे... गुजरना क्या
अक्सर टकराते है
साहस भी कहें आने दो उसे
तन मन से तैयार खड़े है
संजोग भी विपदा का रिश्तेदार हैं
इंतज़ार में उसके
नज़रों से रहम-ए -करार छिन रहा है
पर वफ़ा को भी दफ़ा ना भाएं
मौन ध्वनिसूर गूंज रहा है
अब नहीं डरते किसी भय से
क्यों कि हिम्मती बने हम
ख़ुद से समझौता कर
ख़ुद से ही लड़ना सिख गए है
हां....लड़ना सिख गए हैं !!


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







