सकारात्मक सोच – ज़िंदगी का उजास
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वक़्त बदला और इस बदलते वक़्त ने हमारी ज़िंदगी के मायने भी बदल दिए हैं। आज आलम यह है कि लोग ज़िंदगी को जी कम रहे हैं और गंवा ज़्यादा रहे हैं। बड़ी-बड़ी उम्मीदों के बोझ तले दिन-रात मशीन की तरह मेहनत हो रही है, और बदले में मिल रही है न खत्म होने वाली थकान। ऐसी परिस्थितियों में यदि हमारी सोच भी निराशावादी हो जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं।
दुख की बात यह है कि ऐसी दशा में "सकारात्मक सोच केवल सोच बनकर ही रह जाती है।" जबकि वास्तव में, हमारी सोच का हमारी ज़िंदगी में कितना प्रभाव है, यह किसी से छिपा नहीं। सकारात्मक सोच जहाँ जीवन को खुशियों और उमंगों से भर देती है, वहीं नकारात्मक सोच जीवन को निरर्थक और बोझिल बना देती है।
हमें यह स्वीकार करना ही होगा कि इस दुनिया में कोई भी इंसान पूर्ण नहीं होता। कोई दुखी है, तो कोई परेशान, किसी ने कुछ खोया है, तो किसी ने कुछ गंवाया है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम जीना छोड़ दें, या ज़िंदगी से मुँह मोड़ लें।
बल्कि ज़रूरत है इस जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की।
ऐसे में नीचे दी गई कुछ बातें आपकी सोच को सकारात्मक बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं:
सकारात्मक सोच बनाए रखने के लिए सुझाव:
1. नकारात्मक सोच आत्मविश्वास की कमी को दर्शाती है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को किस रूप में देखना चाहते हैं – एक शिकारी या एक शिकार?
2. अपनी खूबियों और क्षमताओं को पहचानिए और सराहिए। समय-समय पर आत्मनिरीक्षण अवश्य करें।
3. यदि जीवन में दुख है, तो खुशी भी होगी। हर हाल में अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें।
4. नकारात्मक विचार प्रायः तब आते हैं जब मन खाली होता है। अतः खुद को रचनात्मक और मनपसंद कार्यों में व्यस्त रखें।
5. नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूरी बनाए रखें। उनका प्रभाव आपकी मानसिकता पर भी पड़ता है।
6. स्वयं को कभी हल्के में न लें। अपना मूल्य पहचानें और आत्मसम्मान को कभी कम न होने दें।
7. स्वयं को प्रेरणास्रोत बनाएं। खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखने का प्रयास करें।
8. किसी भी बात या निर्णय पर पहुँचने से पहले सच्चाई को जानें।
9. अपने नजरिये को महत्व दें, लेकिन दूसरों को भी नजरअंदाज़ न करें।
10. जीवन में हार और जीत दोनों को खुले मन से स्वीकारें। यही मानसिक संतुलन का परिचायक है।
11. दूसरों से अत्यधिक सहानुभूति पाने की कोशिश आत्मविश्वास की कमी को दर्शाती है।
12. आलोचना से डरने के बजाय, उसका सामना करना सीखें।
13. नियमित आत्ममूल्यांकन करें। यह आपको आंतरिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन देगा।
14. भले ही अभी सफलता न मिली हो, लेकिन खुद को सफल समझने की भावना रखें। यह भाव आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा भर देगा।
ज़िंदगी की धूप-छाँव से घबराना नहीं है, बल्कि उसमें जीना है। हर नया दिन एक नया अवसर लेकर आता है – सोच को सकारात्मक बनाकर ही हम उस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। सकारात्मक सोच कोई आदर्शवादी विचार नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक जीवन मंत्र है, जिसे अपनाकर हम अपने और दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
डॉ. फ़ौज़िया नसीम शाद