यहाँ कौन किसीको क्या दे रहा है?
सबजन ले तो रहे है
कोई दान भी कर रहा है तो क्या?
बदले में पुण्य भी तो ले रहा है
कोई किसीको सुख दे रहा है तो क्या?
बदले में सुख भी तो ले रहा है
कोई किसीको प्रेम दे रहा है तो क्या?
बदले में प्रेम भी तो ले रहा है
कोई किसीको कुछ दे रहा है तो क्या?
बदले में कुछ ले भी तो रहा है
जिस क्षण तुम किसीको कुछ दे रहे हो
उसी क्षण तुम किसीसे कुछ ले रहे हो
हे भगवंत...
इसमें अभिमान कैसा?
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️