उम्र के आख़िरी पड़ाव के लिए पैसा ज़मीन जायदाद बनाते रह गए
उस उम्र में पहुँचे तो पता चला कि केवल पैसा नहीं अच्छे कर्मों को भी संजोना था
क्योंकि दर्द चाहे तन का हो या मन का स्वयम् ही सहना पड़ेगा
वह कोई मोल लेकर भी नहीं बाँट पाएगा..
वन्दना सूद