कापीराइट गजल
जब तबीयत संभल गई लौट आए हम
अब किसी तरह वापस लौट आए हम
न लौट पाएंगे वापस, ये कहा था तुमने
ओढ़ कर नई खामोशी लौट आए हम
गर बुलाते ना तुम हम ना आते कभी
एक आवाज पर तुम्हारी लौट आए हम
जिन्दगी और मौत का खेल है पुराना
अब इस खेल में वापस लौट आए हम
जब तेरे प्यार का पैगाम मिला हमको
तोड़ कर सारे बन्धन लौट आए हम
दम था बहुत तेरी दुआ में अय दोस्त
तेरी दुआ के संग ही लौट आए हम
तुमको मेरी वजह से गम न हो कभी
यही सोचकर फिर से लौट आए हम
पैगाम-ए-खुदा जो तामील हुआ यादव
तुमसे मिलने के लिए ही लौट आए हम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है