उदगार साँसो का
सौदागर नहीं तेरी भावना का बाज़ीगर हूँ मैं
अभिव्यक्ति की अभिलाषा नहीं आशा हूँ मैं !!
ख़यालों का पुलाव नहीं, सपनो का राही हूँ मैं
झाँक भीतर स्नेहसागर का छलकता जाम हूँ मैं !!
कहीं सुना हो रचना बोल, वो प्रेरणा का स्रोत हूँ मैं
राग - लय से सज्ज़, ध्वनि में विचरता संगीत हूँ मैं !!
माना लुप्त हूँ, पर शरीक प्रतित होता, हर लम्हाँ हूँ मैं
वक़्त की अटारी पे टक - टक करता वो कांटा हूँ मैं !!
तुझ में ही नहीं, कण - कण में भरा अहसास हूँ मैं
वज़ूद मेरा सिमित नहीं, सृष्टिमें फैला आनंदोद्गार हूँ मैं !!
तूँझे छोड़ना आसान नहीं, उसी लिए सताता हूँ मैं
गर तूँ रूठा, गर तूँ रूठा, यादों में खोया 'सैलाब' हूँ मैं !!