कोई शब्द बना ही नहीं
कर सके जो एक स्त्री की शख्सियत को ब्याँ
माँ,बेटी,सहभागी,मित्र या कहे उसे शक्ति का रूप
सारांश मुमकिन नहीं है जिसके गुणों का
प्रकृति से प्रलय जिसके अधीन
एक दिन में न बाँटों उसके अभिनन्दन को
हमारे हर दिन का सूरज उदय होता उसके होने से
जीवन में अँधियारा छा जाता उसके न होने से
उसके बिना हर राह हमारी अधूरी है
उसके सम्मान से ही हमारे सम्मान की प्रगति है ..
वन्दना सूद