ये तन्हाई आती है
चुप के से वो कुछ कहती हैं
हो अकेले तो मैं तेरी साथी हूं
हलचल सी हूं.. मैं चंचल सी हूं
तुझमें समा कर तेरा ख़्याल पूछती हूं
छेड़ो न ग़म का तराना
मैं भी तो डर जाती हूं
ये तन्हाई आती है
हद से ज्यादा सताती हैं
जीना कहां फिर आता है....
दर्द को झेला है अश्रु को पीया हैं
वेदना से पुराना नाता हैं
फिर भी खा जाती तन्हां बीमारी है
दुआ न कोई असर करे
खुदाई हमसे रूठी हैं
ये तन्हाई आती है
हद से ज्यादा सताती हैं
जीना कहां फिर आता है....
बेहद तड़पते आरजू के पैमाने है
न कोई नशा है न शराब है
फिर भी बेहोशी का आलम है
ये तन्हाई कहती है.....
क्यों मारी मारी तूं मुझसे खफ़ा रहती है
हद से ज्यादा सताती हैं
जीना कहां फिर आता है....
ये तन्हाई आती है.....!!!!

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




