एक बेटी की व्यथा..…
पुरी कायनातमें नहीं
'माँं' तेरे जैसा कोई
निहारते रहे नैना तेरे मुझे
मेरी समझ,कितनी अधूरी रही..!!
तेरा अंश है हम
खून तेरा रोया नहीं
बिछड़ना मंजूर नहीं
पर पराएं धन की,क़ीमत नहीं..!!
सौंप दिया,औरों के हाथ
कलेजा तेरा काँपा नहीं
बड़ी मुश्किल से बात होती
क्या तुझे फिक्र हमारी नहीं..!!
सोंचते हैं, कैसी हस्ती है तूं
दर्द की भरी चिंगारी तूं
ख़ुद राख बन समर्पित होती तूं
क्या हम तेरा हिस्सा नहीं ..!!
बरसो बिते, कैसे थे जीते
समझें आज पर,ओ माँ...
मेरी समझ को समझने
अफ़सोस,तूं पास नहीं..!!
निभा रहे हैं, वोही किरदार
जहां से गुजरी संवेदना तेरी
छिपे वो अश्क...जिस दामनमें
वो आँचल की....मेरे पास
अब कोई हयाती नहीं...!!!!

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




