(राम नरेश उज्ज्वल की यह बाल कविता देवपुत्र मासिक पत्रिका के मई 2025 अंक में प्रकाशित हुई है ।)
उज्ज्वल दिन, उज्ज्वल रातें
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ईश्वर इतना दे हमको ।
हम भी दे पाएँ सबको ।।
कभी न कोई दिक्कत हो ,
सदा हमारी इज्जत हो ,
उन्नति के पथ पर चढ़ कर
छू लें हम फ़ौरन नभ को ।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
सेवा भाव भरें मन में ,
रोग-दोख ना हो तन में ,
मदद सभी की कर पाएँ
आप बढ़ाएँ ताकत को ।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
कभी नहीं अपराध करें ,
लोभ-मोह सब आप हरें ,
बुद्धि विवेक जोश जगे
पा लें अपनी मंज़िल को।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
राह चलें सच्चाई की
बात करें अच्छाई की
तन-मन में हो निश्छलता
त्यागें दंभ और छल को ।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
आँसू भी पी जाएँ हम ,
खुशियों को फैलाएँ हम ,
कलरव गूंजे हर घर में
सुरभित कर दें जीवन को।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
राष्ट्र प्रेम की अलख जगे ,
सबसे न्यारा देश लगे ,
अगर जरूरत पड़े कभी
कटा सकें अपने सर को ।
ईश्वर इतना दे हमको ।
मुश्किल में घबराएँ ना ,
बिना बात टकराए ना ,
उज्ज्वल दिन, उज्ज्वल रातें
उज्ज्वल कर दें जंगल को ।
ईश्वर इतना दे हमको ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
उज्ज्वल सदन
मुंशी खेड़ा,(अपोजिट एस-169
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