दोस्त भी देखे हमने दुश्मन भी बहुत देखे हैं
वक्त के हाथों मिटते चमन भी देखे हैं
अपने अहम पर अड़े हुए मगरूर रिश्तों के
सरे बाजार नीलाम कफन भी देखे हैं
जिनकी हर बात पे तालियां ही तालियां गूंजी
उभरते कई चेहरों पे शिकन भी देखे हैं
जो शेर हैं अपने घर में उनकी बात भी क्या हो
गीदड़ की भभकी के हवन भी देखे हैं
जब दास मुकद्दर में तलातुम की तबाही आये
हमने बिखरे शाहों के जहन भी देखे हैं II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




