तुझे पाना
सबका अधिकार है
तुझे जानना
सबकी कामना है
तू नहीं है विरासत
किसी धर्म की
तू नहीं है सम्पदा
किसी जाती की
सभ्यताएँ बनती रही और मिटती रही
कितने रथी-महारथी आयें और नष्ट हो गए
कितने युग बीत गए और पुनः स्थापित हुए
जिन्होंने कहा मेरा धर्म, मेरी जाती, मेरा संप्रदाय
वह पतित हो गए
कालचक्र में फँस गए
तुझसे दूर हो गए
तू तो स्वामी
तू तो ईश्वर
चराचर का पिता
हे भगवंत...
तू सबका पालनकर्ता l
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️