श्री कृष्ण अकेले थे।
अपने मात-पिता से अलग
किसी दूसरी नगरी
अपनों की चाह में
वो जिए
और जीते ही चले गए।
और जिनके साथ जिए
उन्हे अपना माना
ऐसे माना कि,
पूतना से छोटे शिशुओं की रक्षा की।
ऐसे माना कि,
कालिया नाग का मर्दन कर,
यमुना का जल
विष रिक्त करा
गोकुल वासियों पर उपकार किया।
ऐसे माना कि,
गौवर्धन पर्वत को ही अपनी कनिष्का पर धारण कर
समस्त गोकुल वासियों को इंद्र देव के अहंकारी कोप से बचाया।
ऐसे माना कि,
मथुरा प्रस्थान समय
क्या गोप क्या गोपिकाएं
सब अश्रु पूर्ण नेत्रों से
श्री कृष्णा से बिछोह की
गाथा लिख रहे थे।
ऐसे श्री कृष्णा
मेरे आराध्य है..🙏
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
भादो मास कृष्ण अष्टमी
आ गई ये सुखद घड़ी
माखन-मिश्री से पूजो सखी
मेरे कृष्णा का जन्मदिवस मनाओ
सब साथ मिल के गाओ
Happy Birthday To You Kanha..
_______मनीषा सिंह