Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

परम् सखा

Jul 31, 2024 | अध्यात्म जगत | मनीषा  |  👁 721,360

सखा
सुनो ना
बारिश बहुत तेज़ हो रही है।
हम तो बैठे भी भिन्न डालियों पर है।
भूख भी लगी है।
तुम्हारी पोटली में चावल तो है ना!?
जो आश्रम से गुरुमाता ने दिए थे?

हां!
पर वो तो मैंने खा लिए।
भूख लगी थी बहुत तेज़।

अच्छा। चलो कोई बात नहीं।

वर्षों बाद जब सुदामा जी से श्री कृष्णा मिले तो अपने परम् सखा के हाल पर रो दिए
और धो दिए
अपने अश्रुओं से
श्रीधाम जी के पैर।
पूछते खैर
तुम इस हाल में कैसे
जैसे
भूल ही गए अपने सखा कृष्ण को।
क्यों?
कभी तो याद किया होता
अपना बाल सखा कान्हा
आना ना होता
तो मैं ही आ जाता
हटाते कांटा पैरों से
और नौ-नौ धार श्री कृष्णा रोए ही जा रहे थे।

श्रीधाम जी ने अपने परम् सखा श्री कृष्णा जी को श्राप से बचाने हेतू श्रापित चावल अकेले स्वयं ग्रहण कर लिए थे। फल स्वरूप दयनीय स्थिति में अपनी गृहस्थी गुज़ारने को विवश थे श्री धाम जी।

ऐसे सखा दुर्लभ ही मिलते है इस कलियुग में।
परम् पूज्य सखा युग्म श्री धामा जी व श्री कृष्णा जी की मित्रता की जय! 🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌


_______मनीषा सिंह




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

वन्दना सूद said

प्रभु की लीला प्रभु ही जाने 🙏🙏सुन्दर प्रसंग

मनीषा replied

वही रचियेता वही है कारक 🙏🙏 धन्यवाद वन्दना सूद जी! 🙏

Bhushan Saahu said

Aisi mitrta is dunia m ab kha hi milti ha. Bo to krishn or sudama hai . Unke to har rup nirale hain.jai shri krishn

मनीषा replied

जी! उचित समर्थ वाक्यांश सहित धन्यवाद आपका! 🙏 जय श्री कृष्णा 🙏

अध्यात्म जगत श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन