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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परम् सखा

Jul 31, 2024 | अध्यात्म जगत | मनीषा  |  👁 721,316

सखा
सुनो ना
बारिश बहुत तेज़ हो रही है।
हम तो बैठे भी भिन्न डालियों पर है।
भूख भी लगी है।
तुम्हारी पोटली में चावल तो है ना!?
जो आश्रम से गुरुमाता ने दिए थे?

हां!
पर वो तो मैंने खा लिए।
भूख लगी थी बहुत तेज़।

अच्छा। चलो कोई बात नहीं।

वर्षों बाद जब सुदामा जी से श्री कृष्णा मिले तो अपने परम् सखा के हाल पर रो दिए
और धो दिए
अपने अश्रुओं से
श्रीधाम जी के पैर।
पूछते खैर
तुम इस हाल में कैसे
जैसे
भूल ही गए अपने सखा कृष्ण को।
क्यों?
कभी तो याद किया होता
अपना बाल सखा कान्हा
आना ना होता
तो मैं ही आ जाता
हटाते कांटा पैरों से
और नौ-नौ धार श्री कृष्णा रोए ही जा रहे थे।

श्रीधाम जी ने अपने परम् सखा श्री कृष्णा जी को श्राप से बचाने हेतू श्रापित चावल अकेले स्वयं ग्रहण कर लिए थे। फल स्वरूप दयनीय स्थिति में अपनी गृहस्थी गुज़ारने को विवश थे श्री धाम जी।

ऐसे सखा दुर्लभ ही मिलते है इस कलियुग में।
परम् पूज्य सखा युग्म श्री धामा जी व श्री कृष्णा जी की मित्रता की जय! 🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌


_______मनीषा सिंह




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

वन्दना सूद said

प्रभु की लीला प्रभु ही जाने 🙏🙏सुन्दर प्रसंग

मनीषा replied

वही रचियेता वही है कारक 🙏🙏 धन्यवाद वन्दना सूद जी! 🙏

Bhushan Saahu said

Aisi mitrta is dunia m ab kha hi milti ha. Bo to krishn or sudama hai . Unke to har rup nirale hain.jai shri krishn

मनीषा replied

जी! उचित समर्थ वाक्यांश सहित धन्यवाद आपका! 🙏 जय श्री कृष्णा 🙏

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