शनि कार्मिक देवा।
चाहे धार्मिक सेवा।
शनि दंडाधिकारी।
सूर्य उत्तराधिकारी।
शनि कर्मफलदाता।
सर्व परम् समज्ञाता।
शनि ही दुःखकर्ता।
सतचित दुःखहर्ता।
शनि ही सुखदायक।
साढ़ेसाती फलदायक।
शनि ढैया कष्टकारी।
बनाए परहित उपकारी।
शनि अतुल्नीय दानी।
सुख समृद्धि समानी।
शनि प्रसन्न सौभाग्य।
देते काट दुर्भाग्य।
शनि प्रिय कर्मकारी।
अप्रिय आलस भारी।
शनि शुद्ध जीवनशिक्षा।
विशुद्ध पाते गुरुदीक्षा।
शनिदेव की जय हो।
शिवसेव्य की जय हो।
कृष्णधार की जय हो।
छायादुलार की जय हो।
भानूपुत्र की जय हो।
यमुनासूत्र की जय हो।
वक्रदृष्टि की जय हो।
चक्रसृष्टि की जय हो।
जय हो श्री शनिदेवा।
स्वीकार करो मेरी सेवा।
रखो दूर दुष्टों से।
रक्षा करो कष्टों से।
देना सन्मति हे देवा।
करते जनमानस सेवा।
जय हो श्री शनिदेवा।
जय हो श्री शनिदेवा।
______मनीषा सिंह