कापीराइट गजल
उनको मेरी परवाह कहां
उनको मेरी परवाह कहां, जिनके लिए मैं जीता हूं
जिन के लिए मैं रोजाना ये घूंट जहर के पीता हूं
कितनी अपेक्षा और आशाएं, मुझसे करते रहते हैं
इन्हें पूरा करने के लिए खुद को मार के जीता हूं
किसी का प्यार किसी की ममता का संसार लिए
ना जाने कितनी यादों के, संग मैं जीता मरता हूं
जिम्मेदारी और भरोसा ये पङते हैं मुझ पर भारी
दब के इनके बोझ के नीचे रोज मैं आहें भरना हूं
खुश हुए नहीं कभी मुझ से लोग सभी मेरे अपने
सारी खुशियां देकर भी, तिल-तिल मरता रहता हूं
हाल मेरा अब नहीं पूछता आके कोई मेरा अपना
कोई उनको एहसास नहीं, मैं कैसे मरता जीता हूं
ढूंढ़े से कोई अपना अब, मुझको नजर नहीं आता
क्या लेना है अब मुझ से, मैं ये सब से कहता हूं
मतलब की इस दुनियां में ये जीते हैं अपने लिए
ना तो हूं संदेश मैं यादव, ना ही मैं कोई गीता हूं
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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