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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

उनको मेरी परवाह कहां

कापीराइट गजल

उनको मेरी परवाह कहां

उनको मेरी परवाह कहां, जिनके लिए मैं जीता हूं
जिन के लिए मैं रोजाना ये घूंट जहर के पीता हूं

कितनी अपेक्षा और आशाएं, मुझसे करते रहते हैं
इन्हें पूरा करने के लिए खुद को मार के जीता हूं

किसी का प्यार किसी की ममता का संसार लिए
ना जाने कितनी यादों के, संग मैं जीता मरता हूं

जिम्मेदारी और भरोसा ये पङते हैं मुझ पर भारी
दब के इनके बोझ के नीचे रोज मैं आहें भरना हूं

खुश हुए नहीं कभी मुझ से लोग सभी मेरे अपने
सारी खुशियां देकर भी, तिल-तिल मरता रहता हूं

हाल मेरा अब नहीं पूछता आके कोई मेरा अपना
कोई उनको एहसास नहीं, मैं कैसे मरता जीता हूं

ढूंढ़े से कोई अपना अब, मुझको नजर नहीं आता
क्या लेना है अब मुझ से, मैं ये सब से कहता हूं

मतलब की इस दुनियां में ये जीते हैं अपने लिए
ना तो हूं संदेश मैं यादव, ना ही मैं कोई गीता हूं

-     लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह, यादव जी! आज की ख़ुद-ग़रज़ दुनिया की सही अक़्क़ासी आपने की है! यहाॅं मतलब निकल जाने के बाद कोई नहीं पहचानता, क्या अपना क्या पराया! बहुत ही शानदार और लाजवाब रचना! बेहद उम्दा! बहुत ख़ूब! आदाब, यादव जी! 👌👌👏👏❤️😊

Lekhram Yadav replied

आदाब अर्ज है अहमद भाई आपको, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

जयश्री विलास जोधंळे said

बहुत सुदंर रचन आपको सादर प्रणाम

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर।

सरिता पाठक said

बहुत सुन्दर रचना यादव भईया जी को सादर नमस्कार 👌🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सरिता जी, आपको सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आदरणीय लेखराम सर जी। क्या खूब लिखा है आपने। अतिसुंदर रचना 👌🌹 अपने, जिसे हम अपना समझते हैं,वो हमें कहां,अपना समझते हैं। आपकी रचना में दर्द है,कसक है, शिकायत है। प्रवाहमयी चित्रण पढ़ते ही दिल में लहरों की तरह उतरती है। क्या बात है 👌👌 सादर प्रणाम 🙏🌹

Lekhram Yadav replied

समदिल भाई आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, आपकी इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया मेरे दिल को छू रही है, आपको सादर नमस्कार।

सुप्रिया साहू said

मतलबी का जमाना ही आ गया है अब सर जी,बहुत सुंदर रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सुप्रिया जी आपको सादर नमस्कार।

वन्दना सूद said

क्या खूब शब्दों में पिरोया है आपने आज की कड़वी सच्चाई को 👌👌👌👌well written sir

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत शुक्रिया वन्दना जी, आपको सादर नमस्कार।

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