दिल दहल गया उस मंजर को देखकर।
असमंजस में प़ड गई उसे करीब देखकर।।
राह एक निकलने का वक्त अलग-अलग।
कुछ कहे बिना न रह सका मुझे देखकर।।
याद आने लगी एक एक कर पुरानी बाते।
कभी सहारा दिया उसने मजबूरी देखकर।।
बुलावा का इंतजार आज भी मेरे दिल को।
ऊपर से नीचे तक मैंने भी निहारा देखकर।।
आँखो के सामने से गुम होने को वो तैयार।
हिम्मत जुटाई 'उपदेश' रास्ता दिया देखकर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद