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कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

शब्दों की चाहत

Jul 06, 2024 | संस्मरण | स्नेह धारा  |  👁 782,347


मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं
उसकी संगत में खेलना चाहती हूं
आजतक न कोई दोस्त, न कोई सहेली थी
पर अब वो मेरे हमसफ़र बने हैं
उसे थाम कई पड़ाव पार करना चाहती हूं
मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं

कौन भला समझता किसीको हैं
सत्य जान मुंह मोड़ जाते हैं
देखकर अनदेखा कर जाते हैं
ऐसी कई संवेदना है जिसको
शब्दों का आभूषण देकर
जगत में स्पष्ट करना चाहती हूं
मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं

माना कठिन सच्चाई को स्वीकारना है
पर आसान ख़ुद को संभालना है
करुणा का जो सामना करना है....
धीरे से वो सीख देकर ठहर जाता है
ये शब्द बहुत भारी, पर निर्देशन करतें है
सुगम कहां आलेखन करना..!..!..!
फिर भी मुझे चाहत सिर्फ़ उसकी है
क्यों की..मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Bhushan Saahu said

Kitabo or sabdo se achaa dost kon hoga. Bahut bdiya

स्नेह धारा replied

Thanks

वन्दना सूद said

मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं👏👏🙌🏻🙌🏻बहुत खूब लिखा ma’am

स्नेह धारा replied

Thanks madam

रमेश चंद्र said

एक सच्चे और अच्छे कवि को हमेशा ही शब्दों के साथ रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना chahie

स्नेह धारा replied

Thanks

Jivani Sharma said

Aap sabdo se pyar krenge to sabd aapse pyar krenge. Or ek writer ko is se jyda kya hi chhaiye.👏👏

स्नेह धारा replied

Thanks 👏

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