मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं
उसकी संगत में खेलना चाहती हूं
आजतक न कोई दोस्त, न कोई सहेली थी
पर अब वो मेरे हमसफ़र बने हैं
उसे थाम कई पड़ाव पार करना चाहती हूं
मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं
कौन भला समझता किसीको हैं
सत्य जान मुंह मोड़ जाते हैं
देखकर अनदेखा कर जाते हैं
ऐसी कई संवेदना है जिसको
शब्दों का आभूषण देकर
जगत में स्पष्ट करना चाहती हूं
मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं
माना कठिन सच्चाई को स्वीकारना है
पर आसान ख़ुद को संभालना है
करुणा का जो सामना करना है....
धीरे से वो सीख देकर ठहर जाता है
ये शब्द बहुत भारी, पर निर्देशन करतें है
सुगम कहां आलेखन करना..!..!..!
फिर भी मुझे चाहत सिर्फ़ उसकी है
क्यों की..मैं शब्दों संग रहना चाहती हूं

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




