दो चिड़ियाँ और एक था कौवा
दो चिड़ियाँ रहने आईं एक नए आँगन में
घोंसला बनाने को तिनका तिनका जोड़ती दोनों
मिल कर बनाया सुन्दर,प्यारा एक आशियाना
मस्ती में रहतीं झूमती-गातीं आनन्द उठातीं
बेख़बर दोनों कि नज़र में रखा है ,एक कौवे ने उनको
..
कुछ दिन में छोटे बच्चों से महका उनका घोंसला
चिड़ियाँ को न पाकर कौवे ने अपनी निर्दयता दिखाई
उतने में ही बच्चों को बचाने दोनों चिड़ियाँ हैं आईं
झुक कर उसको बहुत समझाया ,बहुत मनाया
नहीं माना निर्दयी तब चिड़ियाँ ने दी ललकार..
लड़ो या मरो पर दोनों ने खेली एक बाज़ी
मिलकर छोटी दोनों चिड़ियाँ ने फिर कौवे की दुर्गति बनाई
कौवे ने शोर मचा कौवों को बुलाया
पर कोई न साथ उसका देने को आया
चिड़िया पीछे कौवा आगे डर कर भागता नज़र आया
..
खूब सीख दीं हैं चिड़ियाँ ने
जुर्म की ताक़त कमज़ोर हो जाए
जब भीड़ की ताक़त मुक़ाबले में आए
विचारों को दे कर नई उड़ान
संस्कारों को अपना हथियार बनाएँ ॥
वन्दना सूद