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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक अर्ज सुन ऐ शाम

Jul 20, 2024 | संस्मरण | स्नेह धारा  |  👁 752,479



एक अर्ज सुन ऐ शाम
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन
मैं इंतज़ार करुँ तेरा
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन

पल भर के लियें ही सही
ले जा वहाँ जहाँ सुकूं बसे रात-दिन
ग़र तूँ आये और मैं न हूँ
तो पुकारना धीरे से मुझे
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन

उलझी सी छोटी सी ऐ दुनिया हमारी
रंगोली की रंगत तूँ लाना जरूर
एक पल देख तुझे जीते है
दर्द और गम वेदना ले जा तूँ संग
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन

आकर तूँ जो चले, हजारों आश सबमें भरे
करे मोहब्बत कायनात तुझसे
हम भी इसी कायनात से बने
कभी न करना दगा तूँ हम से
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन

शायद ऐसा हो, बिन मिले चले जो 'हम'
तो एक-बार प्यार बरसा देना जरूर
जहाँ की झाँकी तेरे होने से निख़रे
मैं भी हूँ आंधी बिन तेरे
तूँ मुझ से मिलने आना हर दिन.....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

कमलकांत घिरी said

वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति मैम 👌🙏🙌

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर रचना

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