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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ओ बाबा....

Jul 13, 2024 | संस्मरण | स्नेह धारा  |  👁 769,347

तूने मुझे पुकारा, मैं भागा भागा आया
आकर फिर.... तुझे मिल नहीं पाया
मन गभराया दिलको करार न आया
ओ बाबा ऐसा मंजर क्यों दिखाया...!!

आस का सुंदर सपना दिखाया
उसमें मुझे कितना समझाया
समझ की जब होशियारी आई
ओ बाबा क्यों आरजू को पथ से भटकाया...!!

मन्नत कहाँ मांगी, सुन आवाज़ मैं आया
सर पर रख दो हाथ, यहीं प्रार्थना लाया
कुएँ तक आकर फिर क्यों प्यासा आया
ओ बाबा क्यों मेरी नैनों में सपना खोया...!!

छोड़ों प्रभु हमे तरसाना पावन भाव लाया
अलौकिक तेरा स्वरूप मैंने मुझ में बसाया
अनजाने जो हुए अपराध माफ़ी माँग ने आया
ओ बाबा अभिलाषा का पावन गहना लाया...!!







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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Suhani Rajput said

Bahut khubsurat rachna

स्नेह धारा replied

Thanks

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar bhakti ras Uttam rachna Pranam sweekar karein mam

स्नेह धारा replied

😊👍👏

रमेश चंद्र said

Bahut hi umda prastuti

स्नेह धारा replied

👏

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