डॉ. राजेंद्र प्रसाद को कौन नहीं जानता है बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई उनसे परिचित है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई में हुआ था। एक वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता के रूप में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और बाद में भारत के संविधान निर्माण में भी योगदान दिया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति थे। यह बात हम सभी जानते हैं,इससे पहले वह संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे थे और बाद में वह देश के पहले राष्ट्रपति बने और भारत रत्न से भी सम्मानित हुए।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत ही सादगी और त्याग से रहने वाले इंसान थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति के पद पर रहे हैं। वह 1950 में देश के पहले राष्ट्रपति बने थे और 1962 तक उन्होंने इस पद पर अपनी सेवाएं दीं।
आज पूरा देश उनकी 141वीं जयंती मना रहा है, इस अवसर पर उनके कुछ अनमोल वचन प्रस्तुत है इस लेख में:-
•"किसी की गलत मंशाएं आपको किनारे नहीं लगा सकतीं।"
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
•"खुद पर उम्र को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए।"
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
•"मंजिल को पाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए याद रहे कि मंजिल की ओर बढ़ता रास्ता भी उतना ही नेक हो।"
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
•”जो बात सिद्धांत में गलत है, वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है।”
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
Post ByAdmin Reena Kumari Prajapat


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







