तीर चले थे
धुआंधार
न थी तरकस
न थी कमान
बस तीर चले थे
धुआंधार
हतप्रभ थे सारे
लोग वहां
मैं घायल था
उन तीरो का
वह वीर धीर
वहां आ धमकी
जिसके नैनो से
चले बाण
चंचल थी, थी कोमल
पर कातिल भी थी
उसकी मुस्कान
मेरे साथ मैं ऐसी
लगती थी जैसे
वह तलवार थी और
मैं था उसकी म्यान
तीर चले थे
धुआंधार
न थी तरकस
न थी कमान
बस तीर चले थे
धुआंधार
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