अहिंसा का दीप
शिवानी जैन एडवोकेट Byss
झुक गए अंबर, मौन धरती का किनारा था,
जब इस माटी में मोहन नाम पुकारा था।
सत्य की लाठी थामे, एक साधु देश में आया,
जिसने अहिंसा की परिभाषा से जग को समझाया।
गोरा रंग था शासन का, अन्याय का वो रथ था,
बापू ने अपने कर्मों से मोड़ा गलत वो पथ था।
कोई शस्त्र नहीं, कोई सैन्य नहीं, बस मन का बल था,
उस एक अकेले निर्भीक पुरुष में युगों का हल था।
नमक उठाकर सागर तट पर, क्रांति का स्वर छेड़ा,
चरखे से काता सूत, गुलामी की जंजीरें तोड़ी।
वह साबरमती का संत, वह बापू महान था,
जिसकी एक हुंकार में सारा हिन्दुस्तान था।
आज भी जब नफ़रत की आँच हर तरफ़ जलती है,
उनकी सीख 'प्रेम' की, दिल को सुकून देती है।
गाँधी! तुम बस देह नहीं, विचार हो अमर,
तुम्हें शत-शत नमन, है युगों-युगों का सफर।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




