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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं
कि जब मैं छोड़ जाऊं ये दुनिया
तो फ़क़त मेरे अपने ही नहीं,
ये पूरा जहान ग़मगीन हो जाए।
जब मैं छोड़ जाऊं ये दुनिया
तो बस मेरे अपने ही नहीं,
ये पूरा जहान भी रोने लग जाए।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं.......

आजकल दौर चल रहा है,
किसी हस्ती का जन्मदिन हो तो व्हाट्स एप
स्टेटस पर उसका फोटो लगा जन्मदिन
मुबारक बोलने का।
और जब कभी वो अलविदा कह जाए दुनिया को
तो स्टेटस पर Rest In Peace लिख श्रद्धांजलि
देने का।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं......

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं
कि जब मेरा जन्मदिन हो
तो ये जहान मुझे भी इसी अंदाज़ से
जन्मदिन मुबारक कहे।
और जब मैं भी रुख़्सत हो जाऊं इस दुनिया से,
तो RIP लिख मुझे भी इसी तरह श्रद्धांजलि देवे।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं.......

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं
कि सिर्फ़ मेरे अपने ही नहीं
ये पूरी कायनात मुझसे मोहब्बत करे।
सिर्फ़ मेरे अपने ही नहीं,
बल्कि हर इंसा मेरी सोहबत करे।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं.....

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं
कि जब मैं ना रहूं इस जहान में,
तब भी ये जहान मुझे याद करे।
जब मैं ना रहूं इस जहान में,
तब भी मेरे लिए कोई फरियाद करे।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं........

मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं
कि जब कह जाऊं मैं भी दुनियां को अलविदा,
तो कफ़न मेरा तिरंगा हो।
और जब निकले मेरी अंतिम यात्रा,
तो पीछे मेरे भी हज़ारों लोगों का क़ाफ़िला हो।
मैं भी इस क़ाबिल बनना चाहती हूॅं........

"रीना कुमारी प्रजापत"








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Reena mam...rachna ke ek chote se hisse ke bhav ne hrday ko aahat to kiya lekin Abhivyakti bahut sundar hai.... Ahat Se mera tatparya bhavukta se hai...

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏🙏

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