अरे वो नादान परिंदे ज़रा ठहर,
इतनी उड़ान न उड़ अभी,
इतनी सुंदर न बन अभी,
ठहर जा ज़रा सा...
यूँ आसमान न छू अभी....।।
तकलीफ़ सी उठती है,
दिल में मेरे इस कदर,
लोग पूछते है तुम्हारे बारे में,
मैं खामोश रह जाती हूँ,
छुपा के तुझको....
अरे वो नादान परिंदे ज़रा ठहर....।।
लोगों की भीड़ में,
अपनों से दूर रहकर,
मैं उड़ान भरूं कैसे,
मैं पिछले यादों को समेटू कैसे...
अरे वो नादान परिंदे ज़रा ठहर....।।
- सुप्रिया साहू

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




