इस लेख में हम आपको जर्मनी में नाजीवाद और हिटलर के बारे बताएंगे। नाजीवाद क्या है ? और हिटलर का उससे क्या संबंध है? हिटलर का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। आज भी जब कोई अपनी ही मनमानी करता है या क्रूर व्यवहार करता है तो उसे हिटलर की संज्ञा दे दी जाती है। ऐसा क्या किया था हिटलर ने कि उसे एक खूंखार तानाशाह कहा जाता है ? आखिर क्यों ये यहूदियों की जान लेने पर तुला हुआ था ? और कैसे जर्मनी का एक आम इंसान, एक आम कलाकार जर्मनी पर शासन करने लगा ? इन सबके बारे में आज हम इस लेख में विस्तृत रूप से जानेंगे।
एडोल्फ़ हिटलर का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था और वह जर्मनी का रहने वाला था। वह अपने करियर के सिलसिले में वियना गया। उसे पेंटिंग्स का बहुत शौक था तो उसने वहां पेंटिंग्स बनाकर बेचना शुरू किया। हिटलर वियना में 5 साल रुका और इन 5 सालों में उसके मन में यहूदियों के प्रति बहुत ही नफ़रत भर दी गई जिससे आगे चलकर वह दुनियां का सबसे खुकार तानाशाह सिद्ध हुआ और इन्हीं 5 सालों में उसके मन में अपनी मातृभूमि की सेवा करने की,अपनी मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा जागृत हुई। जिससे वह वियना छोड़ म्यूनिख पहुंचा और वहां सेना में शामिल हो गया।
1916 और 1918 की लड़ाई में हिटलर भी शामिल था और इनका मोर्चा वही संभाल रहा था लेकिन इन लड़ाईयों में उसे मुंह की खानी पड़ी। 1918 में हिटलर "जर्मन वर्कर्स पार्टी" में शामिल हो गया क्योंकि ये दल भी जर्मन राष्ट्रवाद का काम कर रहा था।
इस दल में शामिल होने के कुछ समय बाद हिटलर ने सेना छोड़ दी। 1920 - 1921 में इस पार्टी का नाम बदलकर "नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी" कर दिया गया, इस पार्टी को संक्षेप में "नात्सी पार्टी" कहा जाता है। हिटलर द्वारा स्थापित शासन को ही "नाजीवाद" के नाम से जाना जाता है। नाजियों का नारा था "एक दल, एक नेता और निरंकुश शासन"। हिटलर ने एक ऐसे पुलिस संगठन की स्थापना की थी जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य विरोधी लोगों का पता लगाकर उनका दमन करना था। नाजीदल का मकसद अब स्थायी सरकार को हटाना बन गया।
हिटलर ने तख्तापलट करने की कोशिश की लेकिन वह असफल रहा और उसे 5 साल की सजा सुना दी गई लेकिन वह जेल से कुछ ही महीनों में बाहर आ गया। 1932 में चुनाव हुए जिसमें नाजियों को बड़ी सफलता मिली लेकिन सरकार नहीं बनी और पॉल वाॅन हिंडनबर्ग ही दूसरी बार राष्ट्रपति बने और हिटलर को चांसलर नियुक्त किया गया, चांसलर बनते ही यहां की वाईमर गणतंत्र व्यवस्था को भंग कर दिया गया, अब जर्मनी में ऐसी व्यवस्था की शुरुआत हो गई थी कि जो हिटलर कहे वही सही है। संसद ने एक कानून पारित कर दिया कि चांसलर रहते हुए हिटलर ही सारी सत्ता संभालेगा। आगे ये भी घोषणा कर दी गई कि नाजीदल ही एकमात्र पार्टी रहेगी बाकी सारे दल समाप्त कर दिए जायेंगे।
कुछ समय बाद राष्ट्रपति हिंडनबर्ग की मृत्यु हो गई और फिर चांसलर और राष्ट्रपति के पद का विलय कर दिया गया , फिर बस अब सब कुछ हिटलर के हाथ में था। अब हिटलर का यहूदियों का सफाया करने का काम बचा था। हिटलर ने यहूदियों पर अत्याचार तो 1933 में चांसलर बनते ही शुरू कर दिया गया था पर 1941 यहूदियों के लिए बहुत ही भयानक साल रहा।
हिटलर अपने शुरुआती दौर में जब वियना अपने करियर के लिए गया था तब उसके मन में यहूदियों के प्रति ज़हर भरने का काम "यहूदी विरोधी अभियान" से जुड़े दो लोगों ने किया था। नाजियों का लक्ष्य यहूदियों का सफाया करना था।
हिटलर ने 1935 में Nurnberg law बनाकर यहूदियों को जर्मन नागरिकता से वंचित कर दिया। नवम्बर 1938 को रात में हिटलर ने अपने विरोधियों का नरसंहार करवाया और यह घटना "क्रिस्टालनाॅख्त" यानी कि "टूटे कांच की रात" के नाम से प्रसिद्ध है। जुलाई1941 में जर्मनी ने यहूदियों का समूल नाश करने के लिए एक आदेश जारी किया और नाजियों द्वारा यहूदियों का बड़ी संख्या में नरसंहार किया गया इसे महाध्वंस या होलोकास्ट कहा जाता है।
1941 - 1945 तक लाखों यहूदियों को गैस चेंबरों में बंद कर मार दिया गया। इन्हीं सभी अत्याचारों के कारण हिटलर को विश्व इतिहास का खूंखार तानाशाह कहा गया।
इतना सब करने के बाद हिटलर 30 अप्रैल 1945 को ज़हर खाकर और खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लेता है और इस तरह उस भयावह तानाशाह का अंत हो जाता है।
लेख - रीना कुमारी प्रजापत