जब दर्द ही नहीं है फिर दवाई खाएं क्यूं
है धीमा जहर ये जादा मिठाई खाएं क्यूं
जिंदगी भर हमें बेवजह सताता रहता है
दर पे उसी के हम आज सर झुकाएं क्यूं
ऐशो आराम में जिन्दगी जीने वालों को
बेकार सादगी का मायना सिखाएं क्यूँ
बेवजह बदनाम हुए हैं इस शहर में जब
किसी जगह पर हम बार बार जाएं क्यूं
दास तुम्हारे वास्ते तो कुछ बचा ही नहीं
टूटे से इस दिल का दर्पण दिखाएं क्यूं II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




