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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दवाई खाएं क्यूँ

जब दर्द ही नहीं है फिर दवाई खाएं क्यूं
है धीमा जहर ये जादा मिठाई खाएं क्यूं

जिंदगी भर हमें बेवजह सताता रहता है
दर पे उसी के हम आज सर झुकाएं क्यूं

ऐशो आराम में जिन्दगी जीने वालों को
बेकार सादगी का मायना सिखाएं क्यूँ

बेवजह बदनाम हुए हैं इस शहर में जब
किसी जगह पर हम बार बार जाएं क्यूं

दास तुम्हारे वास्ते तो कुछ बचा ही नहीं
टूटे से इस दिल का दर्पण दिखाएं क्यूं II




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह दास जी वाह! हरेक बंध में एक गंभीर बात छिपी हुई है। शब्द रचना खूबसूरत भावपूर्ण।टूटे से इस दिल का दर्पण दिखाएं क्यूं।जो हमें अपना नहीं मानते उन्हें अपनाएं क्यूं। सच्ची बात सच्ची बात।

शिवचरण दास said

आपकी समीक्षा का अंदाज आपके उपनाम समदिल के अनुरूप ही एक नई रचना के लिए प्रेरित करता है. ..बहुत बहुत आभार मनोज जी

श्रेयसी said

बहुत ख़ूब बहुत सुंदर रचना सादर प्रणाम 🙏🙏

शिवचरण दास said

आपका बहुत आभार अभिवादन

वन्दना सूद said

हर एक पंक्ति कटाक्ष कर रही है पर बहुत सही और सच्चा लिखा 👌👌

शिवचरण दास said

हार्दिक धन्यवाद अभिवादन वन्दना जी

रीना कुमारी प्रजापत said

एक एक लफ़्ज़ दिल को छू गया.... बहुत सुंदर रचना 👌

शिवचरण दास said

साभार अभिवादन रीना जी

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