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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

फिर कौन सा वक़्त है जो

लोग कहते हैं वक़्त हर ज़ख़्म भर देता है
तजुर्बा है मेरा बेवक़्त हरा भी कर देता है

आते हैं दिन बहार के रंगीन नज़ारे देख
कोई किसी की याद में दिल अपना जला लेता है

साथ न हो साथी और चांँदनी मुस्कुराए
छिप जाए चाँद काले बादल में आशिक़ बद्दुआ देता है

हिज्र में आकर बरसात अगन हीं लगाती है
फिर कौन सा वक़्त है जो ज़ख़्म भर देता है




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत और लाजवाब रचना आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार मेरी प्यारी बहना.

रीना कुमारी प्रजापत said

Hum moun hai kyonki tarif mein shabd bache nhi👌👌

श्रेयसी said

Reena ji aapki soch achhi hai warnaa mai kya hun but thank you so much 🙌🙌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah 👏👏हिज्र में आकर बरसात अगन हीं लगाती है फिर कौन सा वक़्त है जो ज़ख़्म भर देता है,,!! Kya jazbaat hain... Uttam Rachna..

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