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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

हम सबकी एक ही कहानी

*हमारी ज़िन्दगी परिस्थितियों से परेशान नहीं होती उसके पीछे का कारण ,उसके परिणाम को सोच कर ज़्यादा दुखी होती है।
*परिणाम सुखद भी रहा हो तब भी यही सोचना अगर ऐसा हो जाता तो क्या होता ?
*नया घर खरीदा तो ये सोच कर परेशान रहना कि अभी तो लोन चल रहा है ,ब्याज देना है ,पर वो तो ख़रीदने से पहले भी पता था ,सब समझ कर लिया फिर क्यों?
*प्रमोशन मिली नौकरी में तो ये सोचना कि अब जिम्मेदारी बढ़ेगी तो अपने लिए समय नहीं होगा,तो उन्नति नहीं चाहिए थी क्या ?
*एक्सीडेंट हो गया सब ठीक रहा ,बचाव हो गया पर गाड़ी ख़राब हो गई तो भी दुखी ,आपको अपने बचने की ख़ुशी नहीं क्या?
*हर छोटी से लेकर बड़ी कोई भी कैसी भी बात क्यों न हो ,हम सब्र नहीं करते ।हमारे मन के दुखी होने का सबसे बड़ा कारण हम ख़ुद ही हैं ।
*क्योंकि पुरानी बातों से सीख कर आगे चलना चाहिए ,उन्हें गाँठ बाँध कर साथ नहीं ले जाया जाता ।
*अपने आपको खुश और सकारात्मक सोच के साथ संवारेंगे तो ही दूसरों को भी खड़ा कर पाएँगे ।
*जो हो गया वो वापिस नहीं आया करता इसलिए उसके लिए दुःख नहीं मनाना बल्कि हर परस्थिति का सामना कर जो है उससे अपना आज और कल बनाना है।
*ज़िन्दगी को एक चैलेंज लेकर ही जीना चाहिए और ऐसा कुछ जो हम न कर सकें ,यही सोच मन में ठान लेनी चाहिए जब तक साँसें हैं ।
वन्दना सूद


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

अध्भुत विश्लेषण जिंदगी को challange समझकर जीने की राय बहुत अच्छी है - लेकिन आजकल कुछ ज्यादा ही challanges होगये हैं जिंदगी में - और शत प्रतिशत मेरी जिंदगी से मिलता जुलता चित्रण/विश्लेषण लग रहा है - हालाँकि सच है अधिकतम इसी में फसे हुए हैं लेकिन पता होने के बाद या इस तरह का लेख पढ़ उसकी तारीफ करने के बाद भी इसको अमल में लाना कठिन क्यों लगता है हम क्षण भर बाद भूल जाते हैं कि अभी कुछ अच्छा पढ़ा था वो सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं था... थैंक यू मेम इस लेख को लिखने के लिए, ऐसा लगता है आज बहुत दिनों बाद खुद के अंदर झाँका है। I Hope and try to learn and implement the outcome of this article in my life....

वन्दना सूद replied

ये हम सब की ही कहानी है कोई भी इससे अलग भी है हम सब अपने आप को प्रकाशित करेंगे तभी अपने लेख से दूसरों को प्रकाशित कर पाएँगे 😊

Lekhram Yadav said

आपकी सोच सकारात्मक है लेकिन हमारा मन एक ऐसी फैक्ट्री है जो भावनाओं और परिस्थितियों को इस तरह से पेश करता है कि एक आम इन्सान सकारात्मकता और नकारात्मकता में अन्तर करने और तर्क शक्ति तथा विवेक शक्ति का उपयोग करने में भ्रम की स्थिती उत्पन्न कर देता है।ऐसी स्थिती में केवल विवेकशील व्यक्ति ही सही निर्णय ले पाता है जबकि आम आदमी ऐसा नहीं कर पाता।

वन्दना सूद replied

आप सही लिख रहे हैं हम सब आम इन्सान ही हैं और हर लिखी हुई बात पर implement करना आसान नहीं किसी के लिए भी पर बचपन से एक बात सीखी है कि जब हम कुछ लिख कर याद करते हैं तो दिमाग़ में बैठ जाती है शायद इसी को विवेक कहते हैं 😊यही कोशिश मेरी रहती है कि जो भी positive feel होता है उसे लिख कर अपनी और दूसरों की राह आसान करें

कमलकांत घिरी said

संसार में हर तिनके का एक अपना वजूद होता है, हर गुनाह का कुछ न कुछ सबूत होता है, संसार में हर व्यक्ति दुःखी है... उनके अधिकांश दुखों का कारण और कोई नहीं बल्कि वह ख़ुद होता है।। बहुत सुंदर लेख प्रस्तुत की है आपने मैम💯 ।।प्रणाम है आपको।।🙏🙏

वन्दना सूद replied

प्रणाम 🙏🙏😊sir

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