सत्य की सजा (बाईएसएस)
एक ब्राह्मण थे किसी गलतफहमी मे फांसी की सजा सुना दी गई, उन्हें फांसी चढ़ाते समय लोग उन पर कंकड़ पत्थर की बौछार कर रहे थे। ब्राह्मण के एक साथी को यह मालूम था की ब्राह्मण बेकसूर है बेवजह फांसी पर लटकाया जा रहा है। फिर भी जनता के डर से उनका साथ नहीं दे पा रहे था।
ब्राह्मण के साथी ने सोचा क्यों ना मैं ब्राह्मण पर फूलों से वार करूं, इससे उन्हें चोट भी नहीं लगेगी और जनता को लगेगा मैं जनता के साथ हूं। ब्राह्मण के साथी ने जब ब्राह्मण पर फूल फेंका तो ब्राह्मण कराह उठे, ब्राह्मण का साथी आश्चर्य में पड़ गया।
ब्राह्मण से पूछा धीरे से उसने जनता आप पर कंकड़ पत्थर फेंक रही थी आप चुपचाप बैठे थे परंतु मेरे फूलों के प्रहार को बर्दाश्त क्यों नहीं कर सके??
संत रोते हुए बोले जनता तो नासमझ है इसलिए मुझे मार रही है परंतु तुमने तो जानबूझकर सच जानते हुए भी मुझ पर प्रहार किया,, इसलिए मुझे पत्थरों से ज्यादा फूलों में दर्द हुआ।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




