(बाल कविता)
गुड्डा बोला कर दो माफ
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जन्मदिवस पर कट गया केक ।
सब लोगों में बँट गया केक ।।
मिला गिफ्ट में गुड्डा तगड़ा ।
अपनी माँ से करता झगड़ा ।।
कहता मुझको दो रसगुल्ला ।
वरना खूब करूँगा हल्ला ।।
माँ ने कहा रहो चुपचाप ।
नहीं अनर्गल करो विलाप ।।
गुड्डा लगा जोर से रोने ।
तोड़े उसने कई खिलौने ।।
माँ ने उसको डाँट पिलाई ।
पापा ने की कान-खिंचाई ।।
कहा-रहो बनकर इंसान ।
जिससे बढ़े मान-सम्मान ।।
अगर करोगे तुम शैतानी ।
हवा जेल की होगी खानी ।।
कोई नहीं करेगा प्यार ।
तुम हो जाओगे बेकार ।।
गुड्डा बोला कर दो माफ ।
मन रखूँगा हरदम साफ ।।
अच्छे-अच्छे काम करूँगा।
रोशन सबका नाम करूँगा ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
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