आज इस खत में, मैं उसको क्या लिखूं।
मैं उसको क्या लिखूं ।।
थोड़ा ही गम था, बाकी का क्या लिखूं।
मैं उसको क्या लिखूं,
मैं उसको क्या लिखूं।
पाने की आस में चाहने का क्या लिखूं,
चाहने का क्या लिखूं।
आज इस खत में, मैं उसको क्या लिखूं,
मैं उसको क्या लिखूं।
एक घर की आस में,
तेरे घर का क्या लिखूं,
मेरे घर का क्या लिखूं,
आज इस खत में,
इस वक्त का क्या लिखूं,
इस वक्त मैं क्या लिखूं ,
आज इस खत में, मैं उसको क्या लिखूं।
मैं उसको क्या लिखूं।
कुछ खास है,
" मेरी आँख लिख रही है तेरे चेहरे को,
तू छुपा ना कर" ।।
- ललित दाधीच।।