(बाल कविता)
गले लगाया धरती ने
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अन्न खिलाया धरती ने।
भूख मिटाया धरती ने ।।
मां ने हमको जन्म दिया पर
भार उठाया धरती ने
चंदन जैसी खुशबू से तन-
मन महकाया धरती ने ।
अपना सीना चीर हमें
इतिहास दिखाया धरती ने।
चलते-चलते गिरे अगर हम
तो दुलराया धरती ने ।
हरा भरा वन उपवन देकर
गले लगाया धरती ने ।
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राम नरेश 'उज्ज्वल'
मुंशी खेड़ा,
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