एक विदाई ऐसी भी...!
बहुत तैयारियां चल रही थी मेरे लिए
अगले दिन फिर शहर जो जाने वाली थी
कुछ दिन पहले आई थी
परीक्षा के सिलसिले में
और अब वापिस जाने का समय था
पापा ने खाने पीने की चीजें दी
मां ने मनपसंद भोजन बनाया
और हर बार यही बात बोलती रही
थोड़ा और खाले
खाना और परोस दूं?
मां बोली कल तू अपने घर चली जाएगी
मैने पूछा 'अपना घर'?
शायद मां समझी नहीं
बेटी जा रही थी दूसरे शहर
काम के सिलसिले में
अपने सपनों को पूरा
करने के उद्देश्य से...
जब बेटियां ससुराल जाती है
तब वो उनका अपना घर हो जाता है
मगर जब कोई बेटी शहर जाए
तो न तो वो किराए का मकान अपना रहता है
और न ही उसे खुद का घर अपना लगता है
रोना तो बहुत आता है कभी कभी
पर क्या करें
लड़कों के साथ साथ
कुछ लड़कियों को भी
आंसू छिपाने की कला आती है ।।
-तुलसी पटेल