मज़हबी जंग से खुदा राज़ी नहीं मज़हब खुदा ने बनाया नहीं
खुदा ने भेजा है धरती पर इन्सान को हक सच बोलने के लिए
जंग तो राजा लड़वाते हैं खुदा की ज़मीन पर_ अपनी शान में
नकारात्मक बुद्धि के लोग ही बैठे हुए लोगों को उठा देता है
सकारात्मक सोच अच्छे कर्म करने में लगे रहते हैं सदा सदा
इन्सान सभी एक खुदा का बंदा है ये समझना होगा हरेक को
ज़मीन पर खुदा बनने वाले लोगों का कर्म बुरा होता अच्छा नहीं
जो जंग नहीं लड़ते वे राजा बनता ज़मीन पर सोचने का मकाम है
बुद्धिहीन लोग जंग लड़ते बुद्धिहीन लोग जंग का ऐलान करते हैं
हमने सोचा है और समझा है यहां दूर वो क़रीब के मस्तिक से
शैतानी दिमाग जंग में नहीं रहता गुमराह लोग जंग लड़ता है
खुदा ने ज़मीन न राजा_ न किसी गरीब के नाम किया है क्यूं के
इंसाफ़ पसंद लोग इंसाफ़ बोलते सच्चे लोग करामात दिखाता है
खुदा देखने में नहीं और इन्सानी सच्ची शक्ति दिखाई नहीं देता है
ज़मीन पर हक़ बराबर है सभी का ज़ालिम लोग बराबरी कबूल नहीं करता
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी
दरवेश ! कवि ! लेखक ! मुफक्किर