कापीराइट गजल
आओ एक बार दिलों की तिजारत कर लें
कुछ रोज जमाने से हम बगावत कर लें
वक्त मिलता कहां हैं प्यार करने का हमें
क्यूं न इस दिल से आज शरारत कर लें
मौसम भी है मौका भी है प्यार करने का
क्यूं न पूरी आज हम ये जरूरत कर लें
हम रहें न रहें कल क्या पता है कल का
क्यों न जी भर के हम मोहब्बत कर लें
मचल रहे हैं ये अरमां क्यूं दिल में यादव
एक बार तेरे दिल से हम शरारत कर लें
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है