अब मैं वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।
मैंने बहुत कुछ सीखा है, पढ़ी हूँ। समय और अनुभव के द्वारा जिन बदलाओं का मैं हिस्सा बनी हूँ, वही मेरी पहचान बन गई हैं।
अब मुझे खुद को किसी के सामने समझाने की जरूरत नहीं महसूस होती। अगर कोई मेरे बारे में राय रखता है—चाहे वह अच्छी हो या बुरी—तो उसे रखे। मैं अपनी ऊर्जा उन लोगों को साबित करने में बर्बाद नहीं करूंगी जिन्होंने पहले ही अपना फैसला कर लिया है। कुछ लड़ाइयाँ लड़ने के लायक नहीं होतीं।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद