मशवरा है मेरे यार,
ज़रा खुलके जिया करो !!
मदिरालय है ये दुनिया,
ज़रा खुलके पिया करो !!
क्यों इधर-उधर की बातों में,
तुम वक़्त को ज़ाया करते हो !!
जो होगा देखा जायेगा,
ज़रा खुलके कहा करो !!
ग़र ना कह पाये दिल की बात,
जीवन भर पछताओगे !!
कुछ कहना हो जब मुश्क़िल,
इशारे तो किया करो !!
ग़र आग लगी हो उधर भी,
धुआँ तो उठेगा यक़ीनन !!
ग़र असर दिखे ना ज़रा भी,
रूख और कहीं का करो !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है