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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ज़िंदगी का सवाल

पूरा सवाल ज़िंदगी का, हमसे कभी हल ना हुआ..
कोई सपना अधूरा रहा, कभी मुकम्मल ना हुआ..।

कभी बरस यूं ही गुज़र गए, कभी पल भी मुश्किल बीता..
वक्त ने ही छल किया, हमसे कभी छल ना हुआ..।

एक तो दुनिया ने हमको दुनियादारी ना सिखलाई..
और ज़माना भी हम जैसा, कभी सरल ना हुआ..।

होंगे दिल के शाहजहां, और मुहब्बत की मुमताज भी..
मगर चांदनी में नहाया, कोई वैसा ताजमहल ना हुआ..।

उनको उम्मीद थी, हम उनके मन मुआफ़िक़ ढल जाएंगे..
दिल ज़िद्द पर ही रहा, फितरत में फेरबदल ना हुआ..।

पवन कुमार " क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (13)

+

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर।👌👌👌

श्रेयसी said

वाह बहुत सुंदर फ़ितरत में फेर-बदल न हुआ आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह वाह वाह 👏👏 लाजवाब

Amit Shrivastav said

उत्तम रचना क्या खूब कलम चलती है श्रीमान की लाज़वाब.

Ankush Gupta said

शानदार प्रस्तुति बेहतरीन कलमकारी

पवन कुमार "क्षितिज" said

आप सभी का दिल से आभार जी 🙏😊

ANIL KUMAR SHARMA said

वाह क्या बात है 👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह,पवन जी, खूबसूरत लिखा है आपने,मन की निश्छलता, कोमलता, स्वछंदता को सुंदर सुंदर पंक्तियों में सजाया है। दिल ज़िद पर ही रहा, फितरत में फेरबदल न हुआ। क्या खूब लिखा है सर जी, स्वागतम् स्वागतम्!

Supriya sahu said

बहुत सुंदर रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

शिवचरण दास said

फितरत में फेरबदल नहीं हुआ. .. बहुत खूब पवन जी

Updesh Kumar Shakyawar said

काफी अच्छी रचना🙏🙏

Manju Sharma said

उनको उम्मीद थी, हम उनके मन मुआफ़िक़ ढल जाएंगे.. दिल ज़िद्द पर ही रहा, फितरत में फेरबदल ना हुआ...वाह बहुत सुंदर

देवांशी पटेल said

पूरा सवाल ज़िंदगी का, हमसे कभी हल ना हुआ.. कोई सपना अधूरा रहा, कभी मुकम्मल ना हुआ.. वाह बहुत गहरी और सच्ची बात - बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बन पड़ी है

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